Thursday 9 February 2017

उत्तराखण्ड बाइक यात्रा (भाग-3) :- दूधातोली ट्रैक

दूधातोली ट्रैक

 “अगर मुझे एक चन्द्र सिंह "गढ़वाली" और मिल जाता तो भारत कब का आजाद हो जाता” :- महात्मा गाँधी 


बात 23 अप्रैल सन 1930 की हैगढ़वाल रायफल की एक पलटन पेशावर में तैनात थी पेशावर के किस्साखानी इलाके में आजादी के दीवाने पठानों की एक सभा हो रही थी, गढ़वाल रायफल की पलटन को इस इलाके में जाकर विद्रोह को कुचलने का निर्देश हुआ, इस पलटन की अगुवाई कप्तान रेकेट कर रहे थे कप्तान रेकेट ने जब इन निहत्थे लोगों पर गोली बरसाने के आदेश दिए तो हवलदार मेजर चन्द्र सिंह भण्डारी ने अपनी पलटन को सीज फायर का आदेश दे दिया तथा निहत्थे लोगों पर गोली बरसाने से इन्कार कर दिया। इसके बाद 72 गढ़वालियों की इस पलटन पर कोर्ट मार्शल का आदेश हुआ जिसमे इनको सजाये मौत की सजा सुना दी गई। बैरिस्टर मुकुन्दीलाल ने इन गढ़वाली सैनिकों का मुकदमा लड़ा और इनकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलवा दिया। इन्ही हवलदार मेजर चन्द्र सिंह भण्डारी की जन्मभूमि क्षेत्र है चान्दपुर गढ़ी।

वीर चन्द्र सिंह "गढ़वाली" का काफी समय तक अंग्रेजो द्वारा गढ़वाल में प्रवेश निषेध था अपने अन्तिम समय में वे जब अपनी जन्मभूमि में आए तो उनकी इच्छा थी कि उनकी समाधि को किसी ऊंचे और खूबसूरत स्थान पर बनाया जाए, जहाँ देवदार के वृक्ष हों। भारत के इसी वीर गढ़वाली सपूत का समाधि स्थल दूधातोली में है।

Tuesday 7 February 2017

उत्तराखण्ड बाइक यात्रा (भाग 2) :- आदि बद्री व चांदपुर गढ़ी

उत्तराखण्ड बाइक यात्रा (8 दिसम्बर से 15 दिसम्बर 2016)
2-तीसरा दिन (10-12016)

सुबह छह बजे सभी जग गए। जग क्या गए जगा दिए गए, रात को होटल में कह दिया था कि सुबह चाय मिल जायेगी तो मजा आ जाएगा। होटल मालिक ने हमारी इच्छा का पूरा ख्याल रखा और कमरे में ही चाय भिजवा दी। बाहर मौसम में ठंडक थी। जल्दी से तैयार होकर आज की घुमक्कड़ी के लिए कमर कस ली। होटल में नाश्ता बनाने को कह दिया इतने में हम 3 किलोमीटर पीछे “चांदपुर गढ़ी” घूमकर वापिस आ जाएंगे।