Sunday 16 October 2016

जम्मू-कश्मीर यात्रा:- कैलाश कुण्ड और छतरगला वापसी


कैलाश कुण्ड और छतरगला वापसी

रात को कैम्प में पहुँचकर सबसे पहले टेण्ट लगाया। तापमान काफी कम था, ठण्ड भी बड़े जोरों से लग रही थी। चूँकि टेण्ट मेरे पास था और मैं ही लेकर आ रहा था तो शशि भाई के पास इन्तज़ार करने के सिवाय कोई चारा नहीं था। पहुँचते ही टेण्ट लगाकर उसमें घुस गए। थकान के मारे सबकी हालत ख़राब थी। कोठारी जी को ठण्ड से झुरझुरी छूठ रही थी। जैसे ही उन्होंने इस बारे में बताया तो उनको तुरन्त बुखार की एक गोली दे दी। और उनको ये भी आगाह कर दिया कि आपको बुखार आने वाला है। पसीने वाले कपडे निकालकर गर्म कपडे पहन कर सोएं। दिन भर चलने के बाद थकान के कारण अक्सर ऐसा होता है।


Wednesday 12 October 2016

जम्मू-कश्मीर यात्रा:- भदरवाह से कैलाश कुण्ड

भदरवाह से कैलाश कुण्ड

जैसे ही ये मालूम पड़ा कि कोठारी जी का बैग होटल में ही छूठ गया है, जिसमें कि उनका बटुआ, मोबाइल, कैमरे का लेंस आदि सब कुछ है, तो रमेश जी ने संकरी सी सड़क पे गाडी सौ की स्पीड में दौड़ा दी। मुश्किल से दो से तीन मिनट में सीरी बाजार के मुख्य चौक स्थित होटल पर पहुँच गए। देखा तो होटल मालिक ने बैग को सुरक्षित अपने पास रखा हुआ है, और हमारे भोजन को पैक कर रहा है। साँस में साँस आई, दिन का भोजन और रात के लिए पराँठे पैक करवा लिए। कुछ बिस्कुट के पैकेट व टॉफी पहले ही रख लिए थे। कैलाश कुण्ड ट्रैक पर कहीं भी खाने व रहने की व्यवस्था नहीं है, साथ ही छतरगला में भी कुछ मिलने वाला नहीं था। खाना पैक करवाकर छतरगला के लिए प्रस्थान कर दिया, जो कि भदरवाह से लगभग पैंतीस किलोमीटर दूर है।